बहुत सी कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना की स्वतंत्रता और सुविधा दी जाती है। यदि वह रिटायरमेंट की आयु पूरी होने से पहले रिटायरमेंट लेना चाहते हैं तो ले सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं किसी कर्मचारी की आयु अधिकतम होने के कारण उसे अपनी नौकरी से रिटायरमेंट लेनी पड़ती है या उसे रिटायरमेंट दे दी जाती है परंतु वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना के अंतर्गत वह अपनी इच्छा के अनुसार आयु अधिक होने से पहले भी रिटायरमेंट ले सकते हैं।
जैसे कि हम ऊपर भी बात कर चुके हैं और नाम से भी स्पष्ट है जब कोई कर्मचारी अपनी इच्छा से आयु अधिक होने से पहले कंपनी में काम करने से रिटायरमेंट लेता है तो उसे ही वॉलंटरी रिटायरमेंट कहते हैं। यह सुविधा कई कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान की जाती है। कईं बार कंपनी भी अपनी गुणवत्ता, उत्पादकता और सेवाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से स्वयं भी कर्मचारियों को वॉलंटरी रिटायरमेंट दे देती है। जिससे उसका भार भी कम होता है। इस प्रकार यह कर्मचारियों और कंपनी दोनों ही के लिए लाभदायक रहती है।
हमारे देश में रिटायरमेंट की आयु 58 से 60 वर्ष और अधिकतम 65 वर्ष मानी जाती है परंतु वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना के अंतर्गत 40 वर्ष की आयु के बाद भी रिटायरमेंट ली जा सकती है।कोई भी कंपनी अपने कर्मचारी को 40 वर्ष की आयु से पहले वॉलंटरी रिटायरमेंट नहीं दे सकती है और इसके लिए वह कर्मचारी कम से कम 10 वर्ष पुराना होना चाहिए।
बहुत सी कंपनियां भारत में लगातार हानि उठा रही थी। उत्पादकता को बनाए रखने के लिए और लाभ प्राप्त करने के लिए यही एक रास्ता था कि कंपनियां आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को, जिन्हें काम करते हुए 10 वर्षों से अधिक का समय हो चुका है उन्हें रिटायर कर दे परंतु भारतीय कानून के अनुसार कर्मचारियों की सीधी चटनी नहीं की जा सकती। वर्ष 1947 के कानून अनुसार कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए अतिरिक्त मैनपावर को जबरदस्ती चटनी करके नहीं निकाल सकते। व्यापार संघ भी इसका पुरजोर विरोध करता है। इन्हीं सब चीजों को मद्देनजर रखते हुए भारत में वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना को लाया गया। इस योजना का सभी के द्वारा स्वागत किया गया। जिसका कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को लाभ प्राप्त हुआ।
वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना के तहत मुआवजे की गणना सबसे पहले इस बात पर आधारित होती है कि उस कर्मचारी का वर्तमान वेतन क्या था।वॉलंटरी रिटायरमेंट योजना के तहत कर्मचारी को दी जाने वाली रिटायरमेंट की राशि अंतिम वेतन मान के आधार पर तय किया जाता है। जो 3 महीनों के वेतन के बराबर हो। सार्वजनिक क्षेत्र में बैंकों का यदि हम उदाहरण लें तो इस मुआवजे की गणना प्रत्येक वर्ष के 45 दिनों के वेतन, शेष अवधि की वेतन या जो भी कम हो उसके आधार पर किया जाता है।
जैसे कि हम पहले भी बात कर चुके हैं इस योजना का लाभ कंपनी तथा कर्मचारी दोनों को ही पहुंचता है। उन्हीं में से कुछ की चर्चा हम यहां कर रहे हैं :
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