मनमोहन को मुख्य तौर पर हिंदी सिनेमा में उनके अभिनय के योगदान के लिए जाना जाता है। मनमोहन ने अपने फिल्मी करियर में लगभग सभी किरदार नकारात्मक निभाए हैं। मनमोहन ने हिंदी ही नहीं बल्कि बंगाली, गुजराती और पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है। इन्होंने वर्ष 1963 में यह रिश्ते हैं प्यार के फिल्म से हिंदी सिनेमा में पदार्पण किया था जिसमें उन्होंने एक विक्रेता का किरदार निभाया था। मनमोहन को पहली बार मुख्य पहचान वर्ष 1965 में एक्स राम शर्मा द्वारा निर्देशित शहीद भगत सिंह के जीवन पर आधारित बायोग्राफिकल फिल्म शहीद से प्राप्त हुई थी। जिसमें उन्होंने चंद्रशेखर आजाद का किरदार निभाया था। मनमोहन ने अपने जीवन में लगभग 100 फिल्मों में काम किया और अधिकतर काम उन्होंने राजेश खन्ना के साथ किया। 26 अगस्त 1979 को लंबे समय से बीमार रहने के कारण 46 वर्ष की आयु में जमशेदपुर में इनका देहांत हो गया।
मनमोहन का जन्म 28 जनवरी 1933 को जमशेदपुर बिहार और उड़ीसा प्रोविंस ब्रिटिश इंडिया के समय हुआ था। यह एक अमीर परिवार से संबंध रखते थे। इनका अपना पुश्तैनी कारोबार था। इनके पिता का नाम भाई चंद पंचमिया जो एक व्यापारी थे। मनमोहन की माता का नाम ज्ञात नहीं है। इनके तीन भाई थे परंतु उनका भी नाम ज्ञात नहीं है।
मनमोहन की शैक्षणिक योग्यता, स्कूल और कॉलेज के विषय में कोई जानकारी नहीं मिलती है। मनमोहन को बचपन से ही अभिनय करने का शौक था और बड़े होकर वह उसी में अपना करियर भी बनाना चाहते थे।
वास्तविक नाम | मनमोहन |
उपनाम | जात नहीं |
मनमोहन का जन्मदिन | 28 जनवरी 1933 |
मनमोहन की आयु | 46 वर्ष ( मृत्यु के समय) |
मनमोहन का जन्म स्थान | जमशेदपुर बिहार और उड़ीसा प्रोविंस ब्रिटिश इंडिया |
मनमोहन का मूल निवास स्थान | जमशेदपुर भारत |
मनमोहन की मृत्यु तिथि | 26 अगस्त 1979 |
मनमोहन का मृत्यु स्थान | जमशेदपुर भारत |
मनमोहन की मृत्यु का कारण | सिलेंडर फटने के कारण जल जाने से |
मनमोहन की राष्ट्रीयता | भारतीय |
मनमोहन का धर्म | हिंदू |
मनमोहन की शैक्षणिक योग्यता | ज्ञात नहीं |
मनमोहन के स्कूल का नाम | ज्ञात नहीं |
मनमोहन के कॉलेज का नाम | ज्ञात नहीं |
मनमोहन का व्यवसाय | अभिनेता |
मनमोहन की कुल संपत्ति | 5 करोड़ रुपए के लगभग |
मनमोहन की वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
मनमोहन की लंबाई | 5 फुट 10 इंच |
मनमोहन का वजन | 80 किलोग्राम |
मनमोहन का शारीरिक माप | छाती 40 इंच, कमर 34 इंच, बाइसेप्स 14 इंच |
मनमोहन की आंखों का रंग | भूरा |
मनमोहन के बालों का रंग | काला |
मनमोहन के पिता का नाम | भाईचंद पंचमीया |
मनमोहन की माता का नाम | ज्ञात नहीं |
मनमोहन के भाइयों का नाम | तीन भाई ( नाम ज्ञात नहीं ) |
मनमोहन की पत्नी का नाम | कांता मनमोहन |
मनमोहन की बेटी का नाम | ज्ञात नहीं |
मनमोहन के बेटे का नाम | नितिन मनमोहन ( फिल्म निर्माता) |
मनमोहन के पिता चाहते थे कि वह भी अपने भाइयों की तरह उनके पिता के व्यापार को आगे बढ़ाएं परंतु मनमोहन को बचपन से ही अभिनय करने का शौक था और वह उसी में अपना करियर भी बनाना चाहते थे। इसी सपने को ले वह वर्ष 1950 में बॉम्बे आए। जल्द ही उन्होंने शंकर जयकिशन, बप्पी सोनी और जी पी सिप्पी के साथ अच्छे संबंध बना लिए थी। जयकिशन के साथ उनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी। उन्होंने ही मनमोहन की बात केवल कश्यप से की और परिणाम स्वरूप केवल कश्यप ने उन्हें अपनी फिल्म शहीद जो कि भगत सिंह के जीवन पर आधारित एक बायोग्राफिकल फिल्म थी में चंद्रशेखर आजाद का किरदार निभाया था। इस फिल्म में भगत सिंह का किरदार मनोज कुमार ने निभाया था। मनमोहन इससे पहले वर्ष 1963 में यह रिश्ते हैं प्यार के फिल्म से हिंदी सिनेमा में पदार्पण कर चुके थे परंतु इसमें उन्होंने एक विक्रेता का छोटा सा किरदार निभाया था। बतौर सहायक अभिनेता इनकी पहली फिल्म शहीद ही थी।
मनमोहन ने बप्पी सोनी की लगभग सभी फिल्मों में काम किया था और उन्हीं के माध्यम से मनमोहन की मुलाकात शक्ति समानता, प्रमोद चक्रवर्ती और मनोज कुमार से हुई थी। उसके पश्चात इन्हें एनएन सिप्पी की फिल्म गुमनाम वर्ष 1965 में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में इन्होंने किशन नामक किरदार निभाया था। वर्ष 1966 में इन्होंने राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म मेरा साया में डॉक्टर की भूमिका निभाई थी। इसी वर्ष इनकी दूसरे फिल्म मोहब्बत जिंदगी है भी रिलीज हुई जिसमें इन्होंने प्रीतम का किरदार निभाया था।
वर्ष 1967 में इन्होंने मनोज कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार में कविता के भाई की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में भी मनमोहन के अभिनय को खूब पसंद किया गया। इसी तरह मनमोहन ने कई सुपरहिट फिल्मों जैसे कि आराधना वर्ष 1969, तुमसे अच्छा कौन है वर्ष 1969, दो भाई वर्ष 1969, प्रेम पुजारी वर्ष 1970, पूरब और पश्चिम वर्ष 1970, हमजोली वर्ष 1970, अमर प्रेम वर्ष 1972, मुंबई टू गोवा वर्ष 1972, नमक हराम वर्ष 1973, गीता मेरा नाम वर्ष 1974, रोटी कपड़ा और मकान वर्ष 1974,क्रांति वर्ष 1981, दौलत के दुश्मन वर्ष 1983 आदि में भी काम किया।
मनमोहन, मनोज कुमार के साथ एक फिल्म की शूटिंग के सेट पर गए हुए थे। शूटिंग खत्म होने के पश्चात क्रू के एक मेंबर ने रोशनी के लिए जब सिलेंडर जलाया तो वह मौके पर ही हट गया और मनमोहन वहीं पर आराम कर रहे थे। सिलेंडर की आग ने मनमोहन को अपनी चपेट में ले लिया और जब तक उन्हें अस्पताल ले जाया गया उनका आधे से ज्यादा शरीर जल चुका था। अस्पताल ले जाने के पश्चात उनका कई महीनों तक इलाज चलता रहा और उनकी जान बच गई परंतु इंफेक्शन अधिक हो जाने के कारण उनके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया। जिसके पश्चात उनकी सेहत लगातार खराब होती गई। वह चाहते थे कि उनको मरने से पहले उनके घर जमशेदपुर ले जाया जाए। मनमोहन की इच्छा अनुसार ऐसे ही किया गया। 26 अगस्त 1979 को 46 वर्ष की आयु में जमशेदपुर में स्थित अपने घर उनका देहांत हो गया।
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